| 1. | मूल क्रिया--भाव वाचक संज्ञा
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| 2. | २-मूल क्रिया से भाव वाचक संज्ञा बनाने का विधान
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| 3. | मूल क्रिया 1 ही होगी ।
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| 4. | आसवन की मूल क्रिया प्राचीन समय में घट-भभकों में की जाती थी।
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| 5. | आसवन की मूल क्रिया प्राचीन समय में घट-भभकों में की जाती थी।
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| 6. | पूर्ण एकाग्रता को देने वाले शक्तिशाली त्राटक की ये मूल क्रिया है ।
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| 7. | संस्कृत में उड़ने के भाव को दर्शाने वाली एक मूल क्रिया है पत् ।
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| 8. | संस्कृत में उड़ने के भाव को दर्शाने वाली एक मूल क्रिया है पत् ।
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| 9. | यदि ‘ मूल क्रिया ' ही नहीं होती तो भला ‘ प्रतिक्रिया ' क्योंकर होती?
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| 10. | मूल आधार के अनुसार उपर्युक्त दोनों प्रकार की संक्षारण क्रियाएँ मूल क्रिया की विभिन्न अवस्थाएँ हैं।
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